Monday 19 March 2012

क्राँति का आवाहन

न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र।
कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र।
………
अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन हो,
मैं करूँ निवेदन कवियों से, लिख क्रांति के अंगार मित्र।
………
मुझको लगता है राजनीति, बन गई आज है वेश्यालय,
तलवार बनाकर कलमों को, करते इनका संहार मित्र।
……….
जितनी भी क्राँति हुई अब तक, कवियों की प्रमुख भूमिका थी,
कवियों में इतनी ताकत है, वो बदल सके सरकार मित्र।
……….
क्या कर्ज लिये मर जायेंगे, जो भारत माँ के हम पर हैं,
क्यों न हम ऐसा कर जायें, चुक जाये माँ उपकार मित्र।
……….
ये जीवन बहुत कीमती है, मुझको क्या सबको मालुम है,
क्यों जाया जीवन मूल्यवान, ये बातों में बेकार मित्र।
……….
हम लिखें क्राँति की रचनायें, निश्चित ही परिवर्तन होगा,
हम सोचे सब परिवर्तन की, सब करें क्राँति हुँकार मित्र।
.........

17 comments:

  1. अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन हो,
    मैं करूँ निवेदन कवियों से, लिख क्रांति के अंगार मित्र।
    ………
    बहुत खूब ....
    my resent post

    काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

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  2. very very nice post.

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  3. प्रेरक ओजमयी रचना । सचमुच अब समय क्रान्ति की माँग कर रहा है ।

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  4. प्रेरक ओजमयी रचना । सचमुच अब समय क्रान्ति की माँग कर रहा है ।

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  5. बहुत ही बढि़या रचना.

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  6. वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,दिनेश जी,..
    बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
    MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....

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  7. khub bahut khub!

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  8. जितनी भी क्राँति हुई अब तक, कवियों की प्रमुख भूमिका थी,
    कवियों में इतनी ताकत है, वो बदल सके सरकार मित्र।sahi soch kalam me bdi takat hoti hai....

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  9. क्रांति के अंगार को भड़काती सुन्दर रचना..

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई.

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  11. क्या कर्ज लिये मर जायेंगे, जो भारत माँ के हम पर हैं,
    क्यों न हम ऐसा कर जायें, चुक जाये माँ उपकार मित्र।
    जी हाँ क्रान्ति न भी हो ओपिनियन बिल्डिंग में कवियों का बड़ा हाथ होता है .'जब तोप मुक़ाबिल हो तो ,अखबार निकालो .'

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  12. मनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने.......
    हार्दिक बधाई..

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  13. हम लिखें क्राँति की रचनायें, निश्चित ही परिवर्तन होगा,
    हम सोचे सब परिवर्तन की, सब करें क्राँति हुँकार मित्र।

    देश सेवा के लिए आवाहन करता सुंदर गीत।

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  14. हम लिखें क्राँति की रचनायें, निश्चित ही परिवर्तन होगा,
    हम सोचे सब परिवर्तन की, सब करें क्राँति हुँकार मित्र।

    प्रेरक रचना, शुभकामनाएँ.

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  15. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र।
    कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र।
    ………
    अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन हो,
    मैं करूँ निवेदन कवियों से, लिख क्रांति के अंगार मित्र।
    ………
    मुझको लगता है राजनीति, बन गई आज है वेश्यालय,
    तलवार बनाकर कलमों को, करते इनका संहार मित्र।
    ……….
    जितनी भी क्राँति हुई अब तक, कवियों की प्रमुख भूमिका थी,
    कवियों में इतनी ताकत है, वो बदल सके सरकार मित्र।
    ……….
    क्या कर्ज लिये मर जायेंगे, जो भारत माँ के हम पर हैं,
    क्यों न हम ऐसा कर जायें, चुक जाये माँ उपकार मित्र।
    ……….
    ये जीवन बहुत कीमती है, मुझको क्या सबको मालुम है,
    क्यों जाया जीवन मूल्यवान, ये बातों में बेकार मित्र।
    ……….
    हम लिखें क्राँति की रचनायें, निश्चित ही परिवर्तन होगा,
    हम सोचे सब परिवर्तन की, सब करें क्राँति हुँकार मित्र।

    क्या ओज-तेज भरा गीत लिखा है मित्र!

    आदरणीय बंधुवर दिनेश अग्रवाल जी
    आपकी इस रचना का एक एक शब्द राष्ट्र भावना को समर्पित है ...
    नमन आपकी लेखनी को !
    नमन है आपके जज़्बे को !!


    # नई पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया है …
    आपकी प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
    :)

    आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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