पार्टी नेता के घर में थी,
देश के नेता कई सम्मिलित।
कुछ नशे में चूर हो झूमें,
कुछ अधिक पीकर हूये थे चित।।
हादसा किन्तु हुआ था एक,
जितने थे नेता गए घबरा।
दो विरोधी दल के थे नेता,
एक दूजे से गए टकरा।।
एक बोला तूँ बड़ा उल्लू,
दूजा बोला तूं बड़ा कुत्ता।
एक बोला तूं फरेबी है,
दूजा बोला तूं बड़ा झुट्टा।।
एक आया था वहाँ कुत्ता,
पीके मदिरा था बड़ा मदमस्त।
नेता से तुलना सुनी अपनी,
था हुआ कुत्ते को भारी कष्ट।।
वो तुरत भौं भौं लगा करने,
फिर अचानक वह पड़ा गुर्रा।
वह नशे में कुछ अधिक ही था,
उसने पी ली थी अधिक ठर्रा।।
आपने तुलना गलत है की,
है कठिन अपमान यह सहना।
मानता हूँ वह नशे में था,
किन्तु जायज उसका था कहना।।
अपनी तुलना मुझसे मत करिये,
यह मुझे गाली सी है लगती।
गालियाँ हमको नहीं आतीं,
गालियाँ तुमको हि हैं फबती।।
मास बारह पूँछ पुल्ली में,
किन्तु हम सीधी न करते हैं।
लीग पर अपनी चले आये,
हम नहीं उसको बदलते हैं।।
पर तुम्हारा क्या भरोसा है,
आज इस दल दूसरे में कल।
गंदगी इतनी यहाँ पर है,
राजनीति बन गई दलदल।।
बन गई गाली ये नेता शब्द,
यह मुझे गाली बहुत अखरी।
खाते हो तुम लोग जिसमें ही,
छेद करते हो उसी पतरी।।
ये वफा होती प्रति उसके,
हम तो जिसकी भी ये खाते हैं।
जान उस पर करते न्यौछावर,
फर्ज हम अपना निभाते हैं।।
देश से तुमको मिली इज्जत,
देश को तुम सबने है लूटा।
शब्द नेता था कभी भूषण,
शब्द नेता बन गया झूटा।।
नाम कुत्ता है वफादारी,
तुम हमारे सामने क्या हो।
तुम तो धोखेवाज हो केवल,
सच कहूँ तुम वेश्या या हो।।
कुन्तु वेश्याओं का भी है धर्म,
धर्म सब अपना निभाते हैं।
कत्ल कर देते हैं रिश्तों का,
राजनीति में तो पाते हैं।।
देश के नेता कई सम्मिलित।
कुछ नशे में चूर हो झूमें,
कुछ अधिक पीकर हूये थे चित।।
हादसा किन्तु हुआ था एक,
जितने थे नेता गए घबरा।
दो विरोधी दल के थे नेता,
एक दूजे से गए टकरा।।
एक बोला तूँ बड़ा उल्लू,
दूजा बोला तूं बड़ा कुत्ता।
एक बोला तूं फरेबी है,
दूजा बोला तूं बड़ा झुट्टा।।
एक आया था वहाँ कुत्ता,
पीके मदिरा था बड़ा मदमस्त।
नेता से तुलना सुनी अपनी,
था हुआ कुत्ते को भारी कष्ट।।
वो तुरत भौं भौं लगा करने,
फिर अचानक वह पड़ा गुर्रा।
वह नशे में कुछ अधिक ही था,
उसने पी ली थी अधिक ठर्रा।।
आपने तुलना गलत है की,
है कठिन अपमान यह सहना।
मानता हूँ वह नशे में था,
किन्तु जायज उसका था कहना।।
अपनी तुलना मुझसे मत करिये,
यह मुझे गाली सी है लगती।
गालियाँ हमको नहीं आतीं,
गालियाँ तुमको हि हैं फबती।।
मास बारह पूँछ पुल्ली में,
किन्तु हम सीधी न करते हैं।
लीग पर अपनी चले आये,
हम नहीं उसको बदलते हैं।।
पर तुम्हारा क्या भरोसा है,
आज इस दल दूसरे में कल।
गंदगी इतनी यहाँ पर है,
राजनीति बन गई दलदल।।
बन गई गाली ये नेता शब्द,
यह मुझे गाली बहुत अखरी।
खाते हो तुम लोग जिसमें ही,
छेद करते हो उसी पतरी।।
ये वफा होती प्रति उसके,
हम तो जिसकी भी ये खाते हैं।
जान उस पर करते न्यौछावर,
फर्ज हम अपना निभाते हैं।।
देश से तुमको मिली इज्जत,
देश को तुम सबने है लूटा।
शब्द नेता था कभी भूषण,
शब्द नेता बन गया झूटा।।
नाम कुत्ता है वफादारी,
तुम हमारे सामने क्या हो।
तुम तो धोखेवाज हो केवल,
सच कहूँ तुम वेश्या या हो।।
कुन्तु वेश्याओं का भी है धर्म,
धर्म सब अपना निभाते हैं।
कत्ल कर देते हैं रिश्तों का,
राजनीति में तो पाते हैं।।
दिनेश जी,... जबरजस्त प्रहार
ReplyDeleteबेहतरीन सुंदर रचना, बहुत अच्छी प्रस्तुति,
MY NEW POST ...कामयाबी...
सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
Deleteमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें.
धीरेन्द्र जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....
Deleteशुक्ला जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deletewaah sahab waah
ReplyDeleteअंसारी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार
Deletewaah bahut achcha
ReplyDeleteआदरणीया निशा जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deleteआज के राजनीतिक माहौल पर करारा व्यंग्य !
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deleteव्यंग्य पर व्यंग्य ....
ReplyDeleteआदरणीया अंजू जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....
DeleteSateek...Bahut Umda...
ReplyDeleteआदरणीया मोनिका जी, प्रतिक्रिया देने के लिये आभार......
Deleteसटीक और जबरदस्त ...
ReplyDeleteवर्मा जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार
Deleteबहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
ReplyDelete"AAJ KA AGRA BLOG"
राजपुरोहित जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....
Deleteसुन्दर व प्रभावी अंदाज है..बधाई..
ReplyDeleteअमृता जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deletewe should avoid to adapt such type of kutte by selecting and electing.nice poetry.
ReplyDeleteSHAW जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deleteसच्चाई में भीगा ...करारा व्यंग !
ReplyDeleteबधाई !
आदरणीय अशोक जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....
Deletebahut jabardast vyangy kiya hai sahi bhi hai ye neta isi bhasha ke kabil hain.
ReplyDeleteराजेश कुमारी जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deletekya baat hai sarkar........
ReplyDeletethanks for yur comments also
शर्मा जी प्रतिक्रिया देने के लिये हृदय से आभार......
ReplyDeletea good comparision betwwen "kutta" and " neta"...
ReplyDeletea good satire also depicting all aspects.../
बबन जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deleteदिनेश जी बहुत जबरदस्त कटाक्ष इस कविता के माध्यम से किया है आपने आज के हालात पर. बधाई.
ReplyDeleteरचना जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....
Deleteअच्छा व्यंग किया है कविता में |सार्थक प्रयत्न |
ReplyDeleteआशा
आशा जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
Deleteआपकी जन जाग्रति बेहद आई। अपनी सच बात कही है। कुत्ता अपनी जगह सही है।
ReplyDeleteआपका ये करारा व्यंग्य पंसद आया। आपको महाशिवरात्रि के अवसर मंगलकामनाएँ।
विरेन्द्र जी प्रतिक्रिया देने लिये आभार.....
Deleteबहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteMY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना के लिए बधाई.....
ReplyDeleteकाव्यान्जलि ...: चिंगारी...
बहुत सुन्दर करारी प्रस्तुति
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य...बधाई.....
ReplyDeleteसटीक व्यंग... वाह !
ReplyDeleteबहुत सही तुलना की है , इस से अच्छा नहीं हो सकता . बहुत खूब
ReplyDelete