Wednesday 14 December 2011

इन्हें जगाने वाला कौन

सोये हैं नवयुवक देश के, इन्हें जगाने वाला कौन।
भ्रष्टाचार की भीषण आँधी, इसे रुकाने वाला कौन।।
भ्रष्टाचार एड्स बीमारी, नेताओं ने दी हमको।
इस बीमारी से भारत को, मुक्त कराने वाला कौन।।
भ्रष्टाचारियों के चंगुल में, देश हमारा कैद हुआ।
फिर क्राँति का पथ निर्मित कर, खून बहाने वाला कौन।।
यहाँ व्यवस्था की मशीन की, भ्रष्टाचार तो ग्रीस बनी।
इस मशीन के बदले कोई, नई लगाने वाला कौन।।
कहें आर्थिक संकट आया, इसीलिये मँहगाई है।
भरी तिजोरी नेताओं की, उसे चुराने वाला कौन।।
अरबों के तो हुए घुटाले, काला धन है विदेशों में।
उस काले धन को भारत में, वापस लाने वाला कौन।।
कहते काम दिया लाखों को, पर बेकारी ज्यों की त्यों।
नाम बताते नहीं किसी का, सर्विस पाने वाला कौन।।
मुद्दा पास नहीं होता जब, धर्म जाति की बात करें।
फिर भी कैसे जीत गये यह, इन्हें जिताने वाला कौन।।
बात-बात में आरक्षण की, बात ये नेता करते हैं।
देश के हित में वोट दें इनको, ये समझाने वाला कौन।।
जात-धर्म के नाम से अपनी, करें सियासत नेता-गण।
इस चुनाव में नेताओं को, अरे हराने वाला कौन।।
कामयाब हम होंगे रटते, भ्रष्टाचारी बनने में।
'रंग दे बसंती चोला मेरा', ऐसा गाने वाला कौन।।
मंदिर मस्जिद को तुम छोड़ो, औ कवितायें श्रंगारी।
श्रमिक, किसान और दलितों की, व्यथा सुनाने वाला कौन।।
दीप जला था आजादी का, वीरों के शोणित से जो।
दीप जला हो गया अँधेरा, उसे जलाने वाला कौन।।
राजनीति बन गई खिलौना, गुण्डों और डकैतों की।
प्रजातंत्र के ये हत्यारे, इन्हें मिटाने वाला कौन।।

2 comments:

  1. बेहद खुबसूरत लिखा है , अच्छी लगी .

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  2. अमृता जी, मेरे ब्लॉग पर आने, सराहना एवं उत्साह-वर्धन करने के
    लिये आभार।

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