Wednesday 8 February 2012

बहस


1. बहस चीज ऐसी है इक, जिसे न सकते जीत।
   जीत  में होती  हार है, जीत से हम भयभीत।।

2. सब कुछ मैं जानूँ कहे, बहुत बड़ा बेवकूफ।
   किन्तु उससे बड़ा वह, बहस करे जो खूब।।

3. जितनी बहसें जीतते, उतने कम हों मित्र।
    अपने भी न रहोगे, कितनी बात विचित्र।।

4. बहस  के  माने  लड़ी  ज्यों, हारी  हुई  लड़ाई।
  जीत मिली तो लाभ क्या,कीमत अधिक चुकाई।।

5. यह जज्वाती युद्ध है, बाद हृदय में दर्द।
    अर्थ हीन जो युद्ध हो, दोनों का हो हर्ज।।

6. क्या ठीक मतलब नहीं, कौन ठीक है अर्थ।
    निकले तंग दिमाग से, बहस इसीसे व्यर्थ।।

7. हो दिमाग छोटा बहुत, मुँह हो मगर विशाल।
    करने का उससे बहस, तत्क्षण त्यागें ख्याल।।

8. दूर सुअर से ही रहें, कभी करें न युद्ध।
    गंदे होंगे आप ही, सुअर तो होगा शुद्ध।।

9. बहस व्यर्थ ही मूर्ख से, तीखे शब्द कठोर।
   जोर-जोर से बोलना, सभी तर्क कमजोर।।

10.बहस बहस का विषय है, करने का यह नाहिं।
    बहस व्यर्थ न कीजिये, मित्र न खोना चाहि।।

11.बहस बहुत विस्तृत विषय, मेरा सीमित ज्ञान।
    बहस  जीतने से मिले, अंत में बह अभिमान।।

12.बहस जीत कर आपके, क्या उपलब्धि पास।
    बहस करे  जो  व्यर्थ में, मित्र  रहे न खास।।

13.समय काटने के लिये, बहस करें कुछ लोग।
    बिना बहस के बैचेन वो, लगे बहस का रोग।।

14.व्यर्थ विषय पर बहस हो, मुझे न अंत दिखाय।
    अंत  बहस   का तभी हो, मित्र शत्रु बन जाय।।

15.जहाँ  व्यर्थ  की  बहस  हो, वहाँ रहें खामोश।
    यह अनुभव की बात है, कभी न हो अफसोस।।

19 comments:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति ,भावपूर्ण बहुत अच्छी बहस,..दोहे अच्छे लगे

    MY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...

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    1. धीरेन्द्र जी, प्रतिक्रिया देने के आभार....

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  2. वाह...वाह...वाह.......जनाब मज़ा आ गया.....बहस के चारों ओर तराशे गए ये दोहे लाजवाब है........हैट्स ऑफ इसके लिए ।

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    1. इमरान जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार....

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  3. दूर सुअर से ही रहें, कभी करें न युद्ध।
    गंदे होंगे आप ही, सुअर तो होगा शुद्ध।।

    भावपूर्ण दोहे.

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    1. केवल जी, प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....

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  4. 4.व्यर्थ विषय पर बहस हो, मुझे न अंत दिखाय।
    अंत बहस का तभी हो, मित्र शत्रु बन जाय।। bilkul sahi likha aap ne

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    1. अवंति सिंह जी, प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....

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  5. where is my comment?

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    1. अंसारी जी, माफी चाहता हूँ मेरी नजर में आपका कॉमेंट तो आया नहीं।

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    2. हमने दिया था दिनेश जी.....शायद आपके स्पैम में हो ब्लोगर पर देखिएगा और स्पैम से निकल दीजियेगा आ जायेगा।

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  6. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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    1. शांति जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.......

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  7. अनुभव के कसौटी पर कसे सुन्दर दोहे के लिए साधुवाद..

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    1. अमृता जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.......

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  8. बहस व्यर्थ ही मूर्ख से, तीखे शब्द कठोर।
    जोर-जोर से बोलना, सभी तर्क कमजोर।।
    आपसे सहमत शत प्रतिशत .......

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    1. सुनील जी प्रतिक्रिया देने के लिये एवं मेरे विचारों से सहमत
      होने के लिये आभार......

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  9. .जहाँ व्यर्थ की बहस हो, वहाँ रहें खामोश।
    यह अनुभव की बात है, कभी न हो अफसोस।।

    बहस का अंत करते बहुत ही प्रेरणाप्रद दोहे।

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    1. महेन्दर जी, प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....

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