Tuesday 20 December 2011

यदि ईश्वर नहीं होता

हमें ईश्वर की जरूरत क्यों है,
जब-जब ईश्वर की चर्चा होती है,
यह प्रश्न खड़ा हो जाता है मेरे सामने.
प्रश्नवाचक चिन्ह बनकर।
वह नहीं होता तो शायद,
अंग्रेज ने सैकड़ों वर्ष तक,
भारत पर शासन नहीं किया होता।
वह नहीं होता तो शायद,
धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक हिंसा नहीं हुई होती।
वह नहीं होता तो शायद,
नहीं बनता पाकिस्तान और बंगलादेश।
वह नहीं होता तो शायद,
दलितों को नहीं किया जाता बहिष्कृत।
नहीं लगते उनपर अनेकोंनेक प्रतिबंध।
न ही होते वह अपने मूलभूत अधिकारों से बंचित।।
वह नहीं होता तो शायद,
भोपाल में नहीं होता गैस काण्ड।
वह नहीं होता तो शायद,
नहीं फैलता सारे विश्व में आतंकवाद।
वह नहीं होता ता शायद,
हम नहीं बँटते धर्म, जाति और उपजातियों में।
वह नहीं होता तो शायद,
धर्म जाति के नाम पर नहीं होता आरक्षण।
वह नहीं होता तो शायद,
नहीं मिलता इन राजनेताओं को,
धर्म एवं जाति-आधारित राजनीति करने का अवसर।।

10 comments:

  1. सुन्दर सन्देश देती हुई उम्दा रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  2. आपकी प्रतिक्रिया से नई ऊर्जा प्राप्त हुई। ऐसी ही कृपा बनाये रखिये।
    आभार.....

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  3. Beautifully written. Good imagination...

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  4. लेकिन समझे कौन और समझाए कौन. यहाँ तो फिर भी ठीक है, लेकिन किसी विशेष विचारधारा के लोग तो तुरंत ही खिलाफ हो जायेंगे.

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  5. ZEAL जी मेरे ब्लॉग पर आकर प्रतिक्रिया देने एवं तारीफ करने के
    लिये आभार। ऐसी ही कृपा बनाये रखिये।

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  6. भारतीय नागरिक जी,नमस्कार।
    मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साह-वर्धक प्रतिक्रिया देने के लिये
    आभार। हमारा धर्म सत्य को प्रगट करना है, हम अपने
    धर्म का पालन बाखूबी से करेंगे। विशेष विचारधारा के लोगों
    का धर्म यदि सत्य का विरोध करना है तो करें। हमें उनके
    विरोध से डरकर सत्य को नहीं छोड़ना है।

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  7. झगड़ा ईश्वर पर विश्वास रखने के कारण नहीं हैं अपितु ईश्वर की पहचान न होने के कारण है। उपर्युक्त वर्णित प्रत्येक समस्याओं का समाधान ईश्वर की पहचान ही में हैं।

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  8. आदरणीय safat alam taimi मेरे blog पर आपका सच्चे
    हृदय से स्वागत है। ऐसी ही कृपा-दृष्टि से मार्ग-दर्शन करते रहिये।
    न ही धर्म न होता ईश्वर।
    मेरा भारत होता सुन्दर।।
    होते नहीं यहाँ पर दंगे,
    करते हम सब प्रेम परस्पर।
    पूजा स्थल संसद होती,
    नहीं टूटते मस्जिद-मंदिर।
    न कुरान न गीता होती,
    संविधान होता सबके घर।
    ईश्वर नहीं प्रमाणित है यह,
    नहीं प्रमाण कि होता ईश्वर।
    ईश्वर डर अज्ञान से जन्मा,
    नहीं झूठ ईश्वर में अन्तर।
    ईश्वर को अज्ञान से माने,
    ईश्वर को हम पूजे डरकर।।

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  9. भगवान् है...पर खुद को ईश्वर मानवता इन्सान जो न करे

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  10. रश्मि जी मेरे ब्लॉग पर प्रथम आगमन पर
    आपका हार्दिक स्वागत है।
    साथ ही नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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